By Dr. Sunetra Javkar
पृथ्वी लोक एवं नाग लोक का घना संबंध रहा है। नाग पंचमी के दिन नाग का पूजन हिन्दू संस्कृति की विशिष्टता की पराकाष्टा है। हिंदू त्योहारों में नाग पंचमी का विशेष स्थान है। पूरे भारतवर्ष में नागपंचमी मनाने की प्रथा पुरानी एवं धार्मिक आस्था से जुड़ी हुई है। आइए जानते हे की, नागपंचमी त्यौहार से जुडी क्या धार्मिक एवं आध्यात्मिक आस्थाए है?
1. भारत में नागपंचमी बरसात का त्योहार है। शेषनाग के फन पर पृथ्वी हुई है, ऐसी मान्यता है। उस दिन सर्प दर्शन शुभ माना जाता है एवं नाग की पूजा की जाती है। लोग उस अवसर पर सर्पके आगे पात्र में दूध रख आते और देव-भाव से उसे ग्रहण करने की उनसे प्रार्थना करते हैं।
2. नाग पंचमी के दिन हम नाग देवता की पूजा करते हैं और उन्हें प्रसन्न करने का प्रयास करते हैं। नाग पंचमी मनाने से घर में समृद्धि और शांति का निवास होता है। तथा प्रारब्ध के कई दोष नाग पंचमी के दिन पूजा करने से दूर हो जाते हैं।
3. नाग पंचमी के दिन व्रत एवं अध्यात्म से जुड़ने वाला व्यक्ति आत्म शांति की ओर आगे बढ़ता है। ⪢ नाग पंचमी पर पूजे जाने वाले विशेष नाग देवताओं में शेषनाग, अनंत, वासुकी, पद्म, कंबला, कर्कोटक, अश्वतर, धृतराष्ट्र, शंकपाल, कालिया, तक्षक और पिंगला आदि हैं।
4. भारतवर्ष में 21 अगस्त 2023 (आज) को नाग पंचमी का उत्सव मनाया जाएगा। हिंदू वर्ष के हिसाब से नागपंचमी हर वर्ष सावन महीने की शुक्ल पक्ष में पंचमी के दिन मनाई जाती है। जैसे कि सावन महीने के हर सोमवार को भगवान शिव के लिए व्रत रखे जाते हैं तथा सावन महीने को भगवान शिव का महीना कहा गया है।
5. भगवान विष्णु से जुड़ी एक मान्यता हैं। गरुड़ पुराण के अनुसार जब देवता और असुरों में भयंकर युद्ध छिड़ गया था, तब भगवान विष्णु ने समुद्र मंथन का आयोजन किया, उस समुद्र मंथन में कई शुभ फल प्राप्त हुए जैसे की मां लक्ष्मी, अमृत कलश, आदि।
6. समुद्र मंथन के समय सब फलों की प्राप्ति शेषनाग की कृपा से ही प्राप्त हुए थी। समुद्र मंथन के समय शेषनाग को डोर बनाकर एक तरफ से देवताओ ने पकड़ा हुआ था और दूसरी तरफ से असुरों ने पकड़ा हुआ था। अंत में रत्न उभर आए थे।
7. भगवान श्रीकृष्ण द्वारा कालिया मर्दन किए जाने पर वृंदावन वासियोंको नदीका पानी उपलब्ध हुआ। तब से नागपंचमी का उत्सव शुरु हुआ। ⪢ इस तरह नाग पंचमी को पौराणिक कथाओं से भी मान्यता मिलती है एवं उसका महत्व और बढ़ जाता है।