आईये जानते है, विश्व संपादिनी कुंडलिनी महाशक्ती की इन विशेषताओं को
कुंडलिनी महाशक्ती
By: Dr. Sunetra Javkar
1. आंतरिक आत्मिक शक्तीयोंको प्रसुप्ति से जागृती में बदलने में और जागृत को प्रचंड बनाने में, कुंडलिनी महाशक्ती का महत्तम सहभाग होता आया है।
2. हम शरीरबल और मनोबल को जानते है। इन दोनों से भी उच्चतम शक्ती तो आत्मबल की है।
⪢ इस आत्मबल के आधार पर स्वकल्याण की अतिमहत्वपूर्ण दिव्य उपलब्धियाँ हमे प्राप्त होती है। कुंडलिनी महाशक्ती इन्ही कार्यो में महत्वपूर्ण भूमिका संपन्न करती है।
3. ज्ञानार्णव तंत्र में कुंडलिनी को विश्व जननी तथा सृष्टी संचालिनी शक्ती कहा गया है।
⪢ कुंडलिनी शक्ती एक प्रचंड विश्वव्यापी शक्ती है, जिसे उपयुक्त सतपात्र अपने, साधना के सातत्य से आकर्षित कर लेते है और स्वयं की आत्मिक संपदा व सशक्तता को बढाते है।
4. संपूर्ण विश्व व्यापार एक घुमावदार उपक्रम (कुंडलिनी की चक्राकार गती) के साथ चलता रहता है।
⪢ हमारे विचार और शब्द जिस स्थान से निर्माण होते है, वे व्यापक परिभ्रमण करके अपने उगम केंद्र पर लौट आते है।
⪢ परमाणु से लेकर ग्रह-नक्षत्र और आकाशगंगाओं तक की गती परिभ्रमण के लिए पूरक है।
5. व्यष्टी का अर्थ है छोटा, सूक्ष्म और समष्टी का अर्थ है बडा।कुंडलिनी शक्ती सृष्टी के संदर्भ में समष्टी और जीव के संदर्भ में व्यष्टी मे शक्ती संचार करती है।
6. कठोपनिषद के यम नचिकेता संवाद मे जिस पंचाग्नी विद्या की चर्चा हुई है, उसे कुंडलिनी शक्ती की पंचविधी विवेचना कहा जाता है। श्वेताश्रवर उपनिषद मे कुंडलिनी शक्ती को योगाग्नी कहा गया है।
7. दैनिक योग प्रदीपिकामें कुंडलिनी को 'स्पिरिट फायर' का नाम दिया गया है। कोई तंत्रान्वेशी कुंडलिनी को सर्पवत वलयान्विता - 'सर्पन्ट पॉवर' नाम देते रहे है।
⪢ एक आध्यात्मिक मार्ग की शिष्या मॅडम ब्लैवेट्स्की ने कुंडलिनीको विश्वव्यापी विद्युत शक्ती 'कॉस्मिक इलेक्ट्रिसिटी' का नाम दिया है।
8. विश्व की सामान्य गति को कुंडलिनी योग साधक अपने शरीर मे चक्राकार बना लेता है। इस अभ्यास से, उसकी स्वयं की वैयक्तिक शक्ती उच्च हो जाती है, साधक की सर्वसाधारण जीवित अवस्था, अब अनन्य साधारण बनती जाती है।
9. कुंडलिनी शक्ती विद्युतिय अग्नियुक्त गुप्त शक्ती है। यह वह प्राकृत शक्ती है, जो सेंद्रिय एवं निरिंद्रिय प्राणियों व पदार्थोमें विद्यमान है।
⪢ जो भौतिक जगतके उपकरणोंकी पकड में नही आती, उसे असत्य मानकर, उसकी सत्ताको अस्विकार नही करना चाहिए।
⪢ कुंडलिनी शक्ती भी एक्स-रे या इसीजी या एमआरआय का विषय नही है। बल्कि यह एक चिरस्थायी व्यक्तिगत संशोधन का विषय है।
10. कुंडलिनी शक्ती के बारे में कई ग्रंथ व उपनिषदोमें और कई अन्य जगहों पर चर्चा की गई है और आगे जाकर कुंडलिनी शक्ती के बारेमें, सिर्फ ज्ञान प्राप्ति करके हमे रुकना नही है। बल्कि वस्तुस्थिती समजने और अधिक जानने के लिए, हमे अपना मन, मस्तिष्क और चित्त खुला रखना चाहिए।
पहले कुंडलिनीको समझना होगा,बादमें जागृती का सोपान चढेंगे!